$I$ जड़त्व की एक स्थिर चकती अपनी अक्ष पर घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र है। जब इस पर एक बाह्य बलाधूर्ण लगाया जाता है तब इसकी गतिज ऊर्जा $K \theta^{2}$ के समान है, जहीं $K$ एक धनात्मक नियतांक है। कोण $\theta$ पर इसका कोणीय त्वरण होगा।
$\frac {K}{I}\,\theta $
$\frac {K}{2I}\,\theta $
$\frac {K}{4I}\,\theta $
$\frac {2K}{I}\,\theta $
एक ठोस गोला तथा एक ठोस बेलन जिनकी त्रिज्यायें समान है, एक आनत तल की तरफ समान रेखीय वेग से जा रहे हैं (चित्र देखें)। शुरू से अंत तक दोनों बिना फिसले लुढ़कते हुये चलते हैं। ये आनत तल पर अधिकतम ऊँचाई $h _{ sph }$ तथा $h _{ cyl }$ तक चढ़ पाते हैं तो अनुपात $\frac{h_{\text {sph }}}{h_{\text {cyl }}}$ होगा।
एक वस्तु की घूर्णीय गतिज ऊर्जा $E$ तथा जड़त्व आघूर्ण $I$ है। वस्तु का कोणीय संवेग होगा
तीन पिण्ड, $A$ : (एक ठोस गोला ) , $B$ : (एक पतली वृत्ताकार चकती) तथा $C$ : (एक वृत्ताकार छल्डा), जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान $M$ तथा त्रिज्या $R$ है, समान कोणीय चाल $\omega$ से अपनी सममिति अक्षों के परित: चक्रण कर रहे हैं । इन्हें विरामावस्था में लाने के लिए किए जाने वाले आवश्यक कार्यों $( W )$ के लिए कौन-सा संबंध सही है ?
एक $2L$ लंबाई की एकसमान छड़ का एक सिरा क्षैतिज तल पर है। यह क्षैतिज तल से $ \alpha $ कोण पर झुकी है। अब यह संपर्क बिन्दु के परित: घूमकर बिना फिसले गिर रही है। क्षैतिज तल में आने पर इसका कोणीय वेग हेगा
कोई पिण्ड किसी आनत समतल पर बिना फिसले नीचे की ओर लुढ़क रहा है। इसकी घूर्णन की गतिज ऊर्जा स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा की $50 \%$ है। यह पिण्ड है कोई।