एक समानरूपी लकड़ी के पतले तखते $A B$ की लम्बाई $L$ एवं द्रव्यमान $M$ है को एक मेज्र पर इस प्रकार रखा गया है कि इसका $B$ किनारा मेज के किनारे से थोडा बाहर निकला हुआ है।इस तख्ते के $B$ किनारे पर $J$ आवेग लगाया जाता है | इस आवेग के परिणाम स्वरुप तख्ता ऊपर उठता है और इसका द्रव्यमान केंद्र मेज्ञ के सतह से $h$ ऊंचाई तक चला जाता है | तब,
$h > 9 J^{2} / 8 M^{2} g$
$h=J^{2} / 2 M^{2} g$
$J^{2} / 2 M^{2} g < h < 9 J^{2} / 8 M^{2} g$
$h < J^{2} / 2 M^{2} g$
एक नत तल क्षैतिज से $30^o$ का कोण बनाता है। इस पर एक ठोस गोला विरामावस्था से बिना फिसले लुढ़कना प्रारम्भ करता है, तो इसका रेखीय त्वरण होगा
एक ठोस गोला तथा एक ठोस बेलन जिनकी त्रिज्यायें समान है, एक आनत तल की तरफ समान रेखीय वेग से जा रहे हैं (चित्र देखें)। शुरू से अंत तक दोनों बिना फिसले लुढ़कते हुये चलते हैं। ये आनत तल पर अधिकतम ऊँचाई $h _{ sph }$ तथा $h _{ cyl }$ तक चढ़ पाते हैं तो अनुपात $\frac{h_{\text {sph }}}{h_{\text {cyl }}}$ होगा।
एक ठोस गोला लोटन गति में है । लोटन गति में वस्तु की स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा $\left( K _{ t }\right)$ के साथ-साथ घूर्णी गतिज ऊर्जा $\left( K _{ r }\right)$ भी होती है । गोले के लिए $K _{ t }:\left( K _{ t }+ K _{ r }\right)$ का अनुपात होगा
एक वस्तु की घूर्णीय गतिज ऊर्जा $E$ तथा जड़त्व आघूर्ण $I$ है। वस्तु का कोणीय संवेग होगा
$50\, cm$ की एक छड़ के एक सिरे को कीलकीत किया है। इसको क्षैतिज से $30^{\circ}$ कोण पर, चित्रानुसार, उठाकर स्थिरावस्था से छोड़ दिया जाता है। जब यह छड़ क्षैतिज अवस्था से गुजरती है तो इसका कोणीय चाल का $rad s ^{-1}$ में मान होगा।
(दिया है $: g =10\, ms ^{-2}$ )