एक पहिये को इसकी अक्ष के परित: एकसमान कोणीय त्वरण दिया जाता है। इसका प्रारम्भिक कोणीय वेग शून्य है। पहले दो सैकण्ड में यह ${\theta _1}$ कोण से घूम जाता है तथा अगले $2$ सैकण्ड में यह ${\theta _2}$ कोण से घूमता है, तो $\frac{{{\theta _2}}}{{{\theta _1}}}$ अनुपात है
$1$
$2$
$3$
$5$
$v$ वेग से जाती हुई कार का ड्राइवर अपने सामने $d$ दूरी पर स्थित चौड़ी दीवार देखता है, उसे
पृथ्वी का कोणीय वेग होता है
$10 \mathrm{~m}$ त्रिज्या वाले वृत्ताकार पथ पर एक वस्तु नियत चाल से चल रही हैं। यह वस्तु $4$ सेकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। $3$ सेकेण्ड के अन्त में वस्तु का इसकी प्रारम्भिक स्थिति से विस्थापन है :
एक छात्र एक रेम्प के ऊपर की ओर स्केटिंग करता है, जो क्षैतिज के साथ $30^{\circ}$ कोण बनाता है। वह $v _0$ चाल से रेम्प के आधार से प्रारम्भ (जैसा की चित्र में दिखाया गया है) होता/ होती है तथा $R$ त्रिज्या के एक अर्द्धवृत्तीय पथ $xyz$ के ऊपर घूमना चाहता/चाहती है जिसके दौरान वह धरातल से अधिकतम ऊँचाई $h$ (बिन्दु $y$ पर) पहुँचता/पहुँचती है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। माना कि ऊर्जा हानि नगण्य है तथा उच्चतम बिन्दु पर इस घुमाव के लिए आवश्यक बल केवल उसके भार द्वारा प्रदान किया जाता है। तब ( $g$ गुरूत्वीय त्वरण है)
$(A)$ $v_0^2-2 g h=\frac{1}{2} g R$
$(B)$ $v_0^2-2 g h=\frac{\sqrt{3}}{2} g R$
$(C)$ बिन्द $x$ तथा $z$ पर आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल शून्य है।
$(D)$ आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल बिन्दु $x$ तथा $z$ पर अधिकतम है।
एक बल $K \left[\frac{ x }{\left( x ^2+ y ^2\right)^{3 / 2}} \hat{ i } \frac{ y }{\left( x ^2+ y ^2\right)^{3 / 2}} \hat{ j }\right]$ ( $K$ एक उचित विमा का स्थिरांक है), एक $m$ द्रव्यमान के कण को $( a , 0)$ बिन्दु से $(0, a)$ बिन्दु तक एक $a$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर ले जाता है, जिसका केन्द्र $x-y$ तल का मूल बिन्दु है। इस बल द्वारा किया गया कार्य निम्न है :