दो दृढ़ टेकों के बीच तानित तार अपनी मूल विधा में $45 \,Hz$ आवृत्ति से कंपन करता है। इस तार का द्रव्यमान $3.5 \times 10^{-2} \;kg$ तथा रैखिक द्रव्यमान घनत्व $4.0 \times 10^{-2} \;kg m ^{-1} .$ है ।
$(a)$ तार पर अनुप्रस्थ तरंग की चाल क्या है, तथा
$(b)$ तार में तनाव कितना है ?
Mass of the wire, $m=3.5 \times 10^{-2} \,kg$
Linear mass density, $\mu=\frac{m}{l}=4.0 \times 10^{-2} \,kg\, m ^{-1}$
Frequency of vibration, $v=45 \,Hz$
$l=\frac{m}{\mu}=\frac{3.5 \times 10^{-2}}{4.0 \times 10^{-2}}=0.875\, m$
$l-$ Iength of the wire,
The wavelength of the stationary wave ( $\lambda$ ) is related to the length of the wire by the relation:
$\lambda=\frac{2 l}{n}$
Where, $n=$ Number of nodes in the wire
For fundamental node, $n=1:$
$\lambda=2 l \Rightarrow\lambda=2 \times 0.875=1.75\, m$
The speed of the transverse wave in the string is given as:
$v=v \lambda=45 \times 1.75=78.75\, m / s$
The tension produced in the string is given by the relation:
$T=v^{2} \mu$
$=(78.75)^{2} \times 4.0 \times 10^{-2}=248.06 \,N$
किसी एकसमान तार का प्रति एकांक लम्बाई द्रव्यमान $0.135\; g / cm$ है। इस तार में कोई अनुप्रस्थ तरंग उत्पन्न होती है जिसका निरूपण समीकरण $y =-0.21 \sin ( x +30 t )$ द्वारा किया गया है, यहाँ $x$ मीटर में तथा $t$ सेकण्ड में है। तार मे तनाव का अपेक्षित मान $x \times 10^{-2} \;N$ है। $x$ का मान $\dots$ होगा। (निकटतम संभावित पूर्णांक तक)
क्षैतिज से $30°$ कोण बनाते हुये एक घर्षण विहीन नततल पर कसी हुयी एक घर्षण विहीन एवं हल्की घिरनी से $9.8 \times {10^{ - 3}}kg/{m^3}$ घनत्व का एक तार गुजरता है। दो द्रव्यमान $m$ एवं $M$ तार के दोनों सिरों से जुडे़ हैं इस प्रकार कि $m$ द्रव्यमान नत तल पर स्थित है एवं $M$ द्रव्यमान मुक्त रूप से ऊध्र्वाधरत: लटक रहा है। सम्पूर्ण निकाय संतुलन में है एवं एक अनुप्रस्थ तरंग $100 ms^{-1}$ के वेग से तार में संचरित होती है $m =$ ..... $kg$
द्रव्यमान $m _{1}$ तथा लम्बाई $L$ की कोई एकसमान रस्सी किर्सी दृढ टेक से ऊर्ध्वाधर लटकी है। इस रस्री के मुक्त सिरे से द्रव्यमान $m _{2}$ का कोर्ई गुटका जुड़ा है । रस्सी के मुक्त सिरे पर तरंगदैर्ध्य $\lambda_{1}$ का कोई अनुप्रस्थ स्पन्द उत्पत्र किया जाता है। यदि रस्सी के शीर्प तक पहुँचने पर इस स्पन्द की तरंगदैर्ध्य $\lambda_{2}$ हो जाती है, तब अनुपात $\lambda_{2} / \lambda_{1}$ का मान है
$8.0 \times 10^{-3} \,kg m ^{-1}$ रैखिक द्रव्यमान घनत्व की किसी लंबी डोरी का एक सिरा $256\, Hz$ आवृत्ति के विध्यूत चालित स्वरित्र द्विभुज से जुड़ा है । डोरी का दूसरा सिरा किसी स्थिर घिरनी के ऊपर गुजरता हुआ किसी तुला के पलड़े से बँधा है जिस पर $90\, kg$ के बाट लटके हैं। घिरनी वाला सिरा सारी आवक कर्जा को अवशोषित कर लेता है जिसके कारण इस सिरे से परावर्तित तरंगों का आयाम नगण्य होता है । $t=0$ पर डोरी के बाएँ सिरे ( द्विभुज वाले सिरे) $x=0$ पर अनुप्रस्थ विस्थापन शून्य है ( $y=0$ ) तथा वह $y$ की धनात्मक दिशा के अनुदिश गतिशील है । तरंग का आयाम $5.0 \,cm$ है । डोरी पर इस तरंग का वर्णन करने वाले अनुप्रस्थ विस्थापन $y$ को $x$ तथा $t$ के फलन के रूप में लिखिए
एक एकसमान पतली रस्सी जिसकी लम्बाई $12\, m$ और द्रव्यमान $6\, kg$ है ऊर्ध्वाधर लटकी हुई है और इसके निचले सिरे पर $2\, kg$ द्रव्यमान का एक खण्ड लटका हुआ है। इसके निचले सिरे पर $6\, cm$ तरंगदैर्ध्य की एक अनुप्रस्थ तरंगावलि (wavetrain) बनायी जाती है। जब यह रस्सी के ऊपरी छोर पर पहुँचेगी तो इस तरंगावलि का तरंगदैर्ध्य $( cm$ में) होगा।