एक धावक $10$ मीटर त्रिज्या वाले वृत्ताकार मार्ग का एक चक्कर $40$ सैकण्ड में पूरा करता है। उसके द्वारा $2$ मिनट $20$ सैकण्ड में तय की गई दूरी ........ $m$ है
$70$
$140$
$110 $
$220$
एक कण पर एक नियत परिमाण का बल, जो कि हमेशा कण के वेग के लम्बवत् रहता है, लगता है। कण की गति समतल में होती है। इसका अर्थ है कि
एक छोटे गुटके को चित्र में दिखाए गये चार मार्गों के अनुदिश दागा जाता है। प्रत्येक मार्ग समान ऊँचाई तक उठा हुआ है। सभी स्थितियों में, मार्ग में प्रवेश करते समय गुटके का वेग समान है। किस स्थिति में मार्ग के उच्चतम बिन्दु पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया अधिकतम है
$M$ तथा $m$ द्रव्यमान के दो कण क्रमशः $R$ तथा $r$ वृत्त के पथ पर घूमते है। यदि उनके आवर्तकाल समान हो , तो उनके कोणीय वेगों का अनुपात होगा
एक छात्र एक रेम्प के ऊपर की ओर स्केटिंग करता है, जो क्षैतिज के साथ $30^{\circ}$ कोण बनाता है। वह $v _0$ चाल से रेम्प के आधार से प्रारम्भ (जैसा की चित्र में दिखाया गया है) होता/ होती है तथा $R$ त्रिज्या के एक अर्द्धवृत्तीय पथ $xyz$ के ऊपर घूमना चाहता/चाहती है जिसके दौरान वह धरातल से अधिकतम ऊँचाई $h$ (बिन्दु $y$ पर) पहुँचता/पहुँचती है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। माना कि ऊर्जा हानि नगण्य है तथा उच्चतम बिन्दु पर इस घुमाव के लिए आवश्यक बल केवल उसके भार द्वारा प्रदान किया जाता है। तब ( $g$ गुरूत्वीय त्वरण है)
$(A)$ $v_0^2-2 g h=\frac{1}{2} g R$
$(B)$ $v_0^2-2 g h=\frac{\sqrt{3}}{2} g R$
$(C)$ बिन्द $x$ तथा $z$ पर आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल शून्य है।
$(D)$ आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल बिन्दु $x$ तथा $z$ पर अधिकतम है।
$900$ ग्राम द्रव्यमान के एक पत्थर को एक डोरी में बाँधकर एक ऊर्ध्वाधर $1$ मी. त्रिज्या के वृत्त में घुमाया जाता है जो $10$ चक्कर प्रति मिनट पूरे करता है तब पत्थर निम्नतम (निचले) बिन्दु पर हो तो डोरी में तनाव है: (यदि $\pi^2=9.8$ तथा $g=9.8$ मी.ससे. ${ }^2$ )