किसी रेडियोधर्मी पदार्थ की $16$ दिनों मे मात्रा घट कर $25\% $ रह जाती है। इसकी अर्द्धआयु ...........दिन है
$32$
$8$
$64$
$28 $
एक गांव को विधुत ऊर्जा प्रदान करने वाले नाभिकीय संयंत्र में एक $T$ वर्ष अर्द्ध-आयु के रेडियोधर्मी पदार्थ को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। प्रारम्भ में ईंधन की मात्रा इतनी है कि गाँव की सम्पूर्ण विधुत शक्ति की आवश्यकताऐं उस समय उपलब्ध विधुत शक्ति की $12.5 \%$ हैं। यदि यह संयंत्र गाँव की सम्पूर्ण ऊर्जा आवयश्यकताओं को अधिकतम $n T$ वर्षो के लिए पूरा कर सकता है। तब $n$ का मान है।
${ }_{92}^{238} U$, रेडियोसक्रिय रूप से क्षयित होकर एल्फा तथा बीटा कणों को उत्सर्जित करते हुए ${ }_{82}^{206} Pb$ बनाता है। एक चट्टान जिसमें प्रारम्भ में ${ }_{92}^{238} U$ का $68 \times 10^{-6} g$ उपस्थित है। यदि ${ }_{92}^{238} U$ से ${ }_{82}^{206} Pb$ में, तीन अर्द्ध आयु में रेडियोसक्रिय क्षय के दौरान उत्सर्जित होने वाले एल्फा कणों की संख्या $Z \times 10^{18}$ है तो $Z$ का मान क्या है?
दो रेडियोधर्मी पदार्थो $A$ तथा $B$ के क्षय नियतांक, क्रमशः $10 \lambda$ तथा $\lambda$ है। यदि आरम्भ में उनके नाभिकों की संख्या बराबर हो तो कितने समय बाद $A$ तथा $B$ के नाभिकों की संख्या का अनुपात $1 / e$ होगा।
एक रेडिया सक्रिय विघटन श्रृंखला अभिक्रिया में ${ }_{90}^{230} Th$ नाभिक ${ }_{84}^{214} Po$ नाभिक में विघटित होता है। इस प्रक्रम में उत्सर्जित $\alpha$ व $\beta^{-}$कणों की संख्या का अनुपात होगा।
एक रेडियोसक्रिय नाभिक $A$, एक अन्य नाभिक $B$ में विघटित होता है जो एक और अन्य स्थित नाभिक $C$ में विघटित होता है। वह आरेख जो समय के साथ नाभिक $B$ के परमाणुओं की संख्या में समय के साथ परिवर्तन दर्शाता है।
(मान लीजिए कि $t =0$, पर सेंपल में कोई भी $B$ परमाणु नहीं है)