किसी गोलीय कोश (शेल) की त्रिज्या $R$ और तापमान $T$ है। इसके भीतर कुष्षिका विकिरणों को फोटॉनों की एक ऐंसी आदर्श़ गैंस माना जा सकता है जिसकी प्रति इकाई आयतन आन्तरिक ऊर्जा, $u=\frac{U}{V} \propto T^{4}$ तथा दाब, $p=\frac{1}{3}\left(\frac{U}{V}\right)$ है। यदि इस कोश़ में रुधोष्म प्रसार हां तो, $T$ तथा $R$ के वीच संबंध होगा
$T \propto {e^{ - 3R}}\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$\;T \propto \frac{1}{R}$
$\;T \propto \frac{1}{{{R^3}}}$
$\;T \propto {e^{ - R}}$
गैस को रुद्धोष्म रीति से संपीडित करने पर, संपीडन के दौरान इसकी विशिष्ट ऊष्मा होगी
एक गुब्बारे में भरी हुई हीलियम का तापमान $32^{\circ} C$, दबाव $1.7$ वायुमण्डल दबाव के बराबर है। जब यह गुब्बारा फूटता है तो फूटने के तुरन्त बाद इसमें भरी हीलियम गैस फैलती है। यह फैलाव:
एक गैस ($\gamma = 1.3)$ एक कुचालक पात्र में भरी हुई है। इस पात्र में दाब ${10^5}\,N/{m^2}$ है एवं एक पिस्टन पात्र में लगा हुआ है। पिस्टन को अचानक दबाकर गैस के आयतन को प्रारम्भिक आयतन का आधा कर दिया जाता है। गैस का अन्तिम दाब होगा
$T$ तापमान पर एक गैस के नमूने का इसके आयतन के दोगुने तक रूद्रोष्म प्रसार किया जाता है। इस प्रक्रम में गैस द्वारा किया गया कार्य है (दिया है, $\gamma=\frac{3}{2}$ ):
एक मोटर-ट्यूब में ${27^o}C$ पर हवा भरी है एवं इसका दाब $8$ वायुमण्डलीय दाब के बराबर है। ट्यूब अचानक फट जाता है तो हवा का ताप होगा [ हवा हेतु $\gamma = \,1.5]$