एक ही रेडियो न्यूक्ल्यिाइड के दो नाभिकों पर विचार करें इनमें से एक नाभिक एक सुपरनोवा विस्फोट में $5$ विलयन वर्ष पूर्व उत्पन्न हुआ। दूसरा एक नाभिकीय रियेक्टर में $5$ मिनट पूर्व उत्पन्न हुआ है। अगले समय में विघटन की प्रायिकता

  • A

    प्रत्येक नाभिक की अलग-अलग होगी

  • B

    विस्फोट में उत्पन्न नाभिक पहले विघटित होगा

  • C

    रियेक्टर में उत्पन्न नाभिक पहले विघटित होगा

  • D

    समय पर निर्भर नहीं करेगी

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दो कण जिनके अर्द्ध-आयुकाल क्रमश: $1620$ और $810$ वर्ष हैं, के एक साथ उत्सर्जन से रेडियोएक्टिव पदार्थ क्षय होता है। पदार्थ की $1/4$ मात्रा के बचने लिये समय (वर्षो में) होगा

  • [AIIMS 2008]

एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्द्ध-आयु $10$ दिन है। इस पदार्थ का कितना अंश $30$ दिन के बाद बचेगा

  • [AIIMS 2005]

एक तत्व रेडियोएक्टिव कार्बन डेटिंग के लिए $5600$ वर्षों से भी अधिक समय से उपयोग में आता है, वह है

जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए $15$ क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक $_{6}^{14} C$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव $_{6}^{12} C$ के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमंडल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया ( जो उपरोक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है ) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। $_{6}^{14} C$ की ज्ञात अर्धायु ( $5730$ वर्ष ) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निक आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली $_{6}^{14} C$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धांत है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता $9$ क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता की सन्नकट आयु का आकलन कीजिए।

${ }_{38}^{90} Sr$ की अर्धायु $28$ वर्ष है। इस समस्थानिक के $15 \,mg$ की विघटन दर क्या है?