किसी रेडियोधर्मी पदार्थ की औसत आयु $5$ घण्टे है। $5$ घण्टे में
सक्रिय नाभिकों का आधा क्षय हो जायगा
सक्रिय नाभिकों के आधे से कम क्षय होगा
सक्रिय नाभिकों के आधे से अधिक क्षय होगा
सभी सक्रिय नाभिक क्षय हो जायेंगे
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए $15$ क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक $_{6}^{14} C$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव $_{6}^{12} C$ के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमंडल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया ( जो उपरोक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है ) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। $_{6}^{14} C$ की ज्ञात अर्धायु ( $5730$ वर्ष ) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निक आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली $_{6}^{14} C$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धांत है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता $9$ क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता की सन्नकट आयु का आकलन कीजिए।
एक प्रतिदर्श जिसमें दो पदार्थ $A$ तथा $B$; जिनकी अर्द्धआयु क्रमश: $4\,s$ तथा $8\,s$ क्रमशः है, प्रत्येक की $10^{-2}\,kg$ मात्रा है। उनके परमाणु भारो का अनुपात $1: 2$ है। $16 s$ पश्चात् $A$ तथा $B$ की मात्रा का अनुपात $\frac{x}{100}$ है तो $x$ का मान $........$ है।
$\alpha$- क्षय में किसी रेडियोधर्मी पदार्थ की अर्द्धआयु $1.2 \times {10^7}$ सैकण्ड है। पदार्थ के $4.0 \times {10^{15}}$ परमाणुओं के लिए विघटन दर क्या होगी
$30$ वर्ष में किसी रेडियोएक्टिव तत्व की नाभिकीय एक्टिवता अपनी प्रारम्भिक एक्टिवता की $\left(\frac{1}{8}\right)$ गुनी हो जाती है। इस रेडियोएक्टिव तत्व की अर्धायु $\dots$ वर्ष हैं।
एक रेडियोधर्मी पदार्थ का $99\% $ क्षय हो जायेगा