दो एकसमान धातु प्लेटों पर क्रमश: धन आवेश ${Q_1}$, ${Q_2}$, ${Q_3}$ व ${Q_4}$ दिये गये हैं। अब यदि इन प्लेटों को पास लाकर $C$ धारिता का समान्तर पट्टिका संधारित्र बनाया जाता है, तब प्लेटों के बीच विभवान्तर होगा
$\frac{{{Q_1} + {Q_2} + {Q_3} + {Q_4}}}{{2C}}$
$\frac{{{Q_2} + {Q_3}}}{{2C}}$
$\frac{{{Q_2} - {Q_3}}}{{2C}}$
$\frac{{{Q_1} + {Q_4}}}{{2C}}$
एक बेलनाकार संधारित्र में $15 \,cm$ लंबाई एवं त्रिज्याएँ $1.5\, cm$ तथा $1.4\, cm$ के दो समाक्ष बेलन हैं। बाहरी बेलन भू-संपर्कित है और भीतरी बेलन को $3.5\, \mu C$ का आवेश दिया गया है। निकाय की धारिता और भीतरी बेलन का विभव ज्ञात कीजिए। अंत्य प्रभाव ( अर्थात् सिरों पर क्षेत्र रेखाओं का मुडना ) की उपेक्षा कर सकते हैं।
चित्र में दिखायी ग स्थिति पर विचार करें। संधारित्र $A$ पर आवेश $q$ है, जबकि $B$ अनावेशित है। स्विच $S$ को दबाने (बन्द करने) के लम्बे समायान्तराल के बाद संधारित्र $B$ पर आवेश है
$C$ धारिता पर $V$ विभव की $64$ बूँदें मिलाकर एक बड़ी बूँद बनायी जाती है। यदि प्रत्येक छोटी बूँद पर $q$ आवेश हो, तो बड़ी बूँद पर आवेश होगा
समान्तर प्लेट संधारित्र धारिता का मूल्य किस पर आश्रित नहीं है
दो एकसमान आवेशित गोलाकार बूँदे मिलकर एक बड़ी बूदी बनाती हैं। यदि प्रत्येक बूँद की धारिता $C$ है तो बड़ी बूँद की धारिता