एक तरंग दृढ़ सिरे से परावर्तित होती है। परावर्तन के फलस्वरूप इसकी कला में परिवर्तन होगा
$\pi /4$
$\pi /2$
$\pi$
$2\pi $
दृढ़ सिरे से परावर्तन होने पर तरंग की कला $\pi$ से परिवर्तित हो जाती है।
दो तार एक सोनोमीटर में कसे हैं। इनके तनाव $8 : 1$ के अनुपात में हैं। इनकी लम्बाइयाँ $36 : 35$ के अनुपात में हैं। व्यास $ 4 : 1$ के अनुपात में हैं। पदार्थो के घनत्व $1 : 2$ के अनुपात में है। यदि इस व्यवस्था में निम्न आवृत्ति $360 Hz$ हो तो विस्पन्द आवृत्ति क्या होगी जब दोनों तार एकसाथ ध्वनित किये जाते हैं
यदि किसी तनी हुयी डोरी की लम्बाई $40\%$ कम कर दी जाये तथा तनाव $44\%$ बढ़ा दिया जाये तो अंतिम तथा प्रारम्भिक मूल आवृत्तियों का अनुपात है
$n$ आवृत्ति से कम्पन करने वाले स्रोत द्वारा उत्पन्न डोरी में तरंगें किसी क्षण दाँयी ओर संचरित हो रही हैं
निम्न कथनों पर विचार करें
$I.$ तरंग की चाल $4n \times ab$ है
$II.$ बिन्दु $a$ व $d$ पर माध्यम $\frac{4}{{3n}}sec$ बाद समान कला में होंगे
$III.$ बिन्दु $b$ तथा $e$ के बीच कलान्तर $\frac{{3\pi }}{2}$
इनमें सत्य कथन है
स्टील के दो एकसमान तार $A$ तथा $B$ को समान तनाव पर कम्पित किया जाता है। यदि $A$ का प्रथम अधिस्वरक, $B$ के द्वितीय अधिस्वरक के बराबर हो तथा यदि $A$ की त्रिज्या $B$ की दो गुनी हो तो तारों की लम्बाईयों का अनुपात होगा
मेल्डी के प्रयोग में अनुप्रस्थ विधा में स्वरित्र की आवृत्ति और डोरी में उत्पन्न तरंग की आवृत्ति का अनुपात होगा
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