किसी बिन्दुवत् स्रोत से निकलने वाली अपसारी किरणों से बनने वाला तरंगाग्र होता है
बेलनाकार
गोलाकार
समतल
घनाकार
(b)
हाइगेन के द्वितीयक तरंगिकाओं के सिद्धांत
किसी तरंग के तरंगाग्र की दिशा, तरंग गति के
ग्रीष्म ऋतु की गर्म रात्रि में, भू-तल के निकट, वायु का अपवर्तनांक न्यूनतम होता है और भू-तल से ऊँचाई के साथ बढ़ता जाता है। यदि, कोई प्रकाश-किरण-पुंज क्षैतिज दिशा में जा रहा हो तो, हाइगेन्स के सिद्धान्त से यह परिणाम प्राप्त होता है कि, चलता प्रकाश-किरण पुंज
हाइगन की तरंगाग्र रचना से क्या नहीं समझाया जा सकता
निम्न चित्र में, एक तरंगाग्र $AB$ जो हवा में गति कर रहा है, किसी काँच के तल $XY$ पर आपतित होता है। इसकी स्थिति $CD$, काँच से अपवर्तन के पश्चात् $A$ व $D$ पर अभिलम्ब के साथ प्रदर्शित है। काँच का हवा ($\mu = 1$) के सापेक्ष अपवर्तनांक बराबर है
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