अतिपरवलय $\frac{{{x^2}}}{{16}} - \frac{{{y^2}}}{4} = 1$ के नियामक वृत्त का समीकरण है
${x^2} + {y^2} = 16$
${x^2} + {y^2} = 4$
${x^2} + {y^2} = 20$
${x^2} + {y^2} = 12$
एक दीर्घवृत $E: \frac{x^2}{a^2}+\frac{y^2}{b^2}=1$ अतिपरवलय $H: \frac{x^2}{49}-\frac{y^2}{64}=-1$ के शीर्षो से होकर जाता है। माना दीर्घवृत $E$ के दीर्घ तथा लघु अक्ष क्रमशः अतिपरवलय $H$ के अनुप्रस्थ तथा संयुग्मी अक्ष के सम्पाती हैं। माना $E$ तथा $H$ की उत्केन्द्रताओं का गुणनफल $\frac{1}{2}$ है। यदि दीर्घवृत $E$ की नाभिलंब जीवा की लंबाई $l$ है, तो $113 l$ का मान है $...............$
$m$ का वह मान जिसके लिए रेखा $y = mx + 6$ अतिपरवलय $\frac{{{x^2}}}{{100}} - \frac{{{y^2}}}{{49}} = 1$ की स्पर्श रेखा होगी, है
अतिपरवलयों के शीर्षों, नाभियों के निर्देशांक, उत्केंद्रता और नाभिलंब जीवा की लंबाई ज्ञात कीजिए
$9 y^{2}-4 x^{2}=36$
यदि किसी अतिपरवलय के शीर्ष $(4, 0)$ तथा $(-4, 0)$ और नाभियाँ $(6, 0)$ तथा $(-6, 0)$ हों, तो उत्केन्द्रता होगी
प्रतिबंधों को संतुष्ट करते हुए अतिपरवलय का समीकरण ज्ञात कीजिए
नाभियाँ $(0,±13),$ संयुग्मी अक्ष की लंबाई $24$ है।