प्रकाश विद्युत प्रभाव के प्रयोग में आपर्तित फोटॉन
पूर्णत: गायब हो जाते हैं
बढ़ी हुयी आवृत्ति से बाहर आते हैं
घटी हुयी आवृत्ति से बाहर आते हैं
आवृत्ति में परिवर्तन के बिना बाहर आते हैं
दो भिन्न आवृतियों के प्रकाश जिनके फोटोन की ऊर्जा क्रमशः $3.8\,eV$ तथा $1.4\,eV$ है, इनको एक धात्विक सतह जिसका कार्य फलन $0.6\,eV$ है, पर क्रमागत रूप से गिराया जाता है। दोनों आवृत्तियों के लिये उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम चाल का अनुपात होगा -
फोटोनों की दो धाराएँ, जिनकी ऊर्जाएँ, धातु के कार्यफलन की क्रमशः पाँच गुना एवं दस गुना हैं, उस धातु के तल पर आपतित होती हैं। दोनों परिस्थितियों में क्रमशः उत्सर्जित होने वाले फोटो इलेक्ट्रॉनों के अधिकतम वेगों का अनुपात होगा
पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने वाला सूर्य-प्रकाश का ऊर्जा-अभिवाह ( फ्लक्स ) $1.388 \times 10^{3}$ $W / m ^{2}$ है। लगभग कितने फ़ोटॉन प्रति वर्ग मीटर प्रति सेकंड पृथ्वी पर आपतित होते हैं? यह मान लें कि सूर्य-प्रकाश में फ़ोटॉन का औसत तरंगदैर्घ्य $550\, nm$ है।
निम्न में से कौन अविभाज्य है