अतिपरवलय $\frac{x^{2}}{4}-\frac{y^{2}}{5}=1$ के नाभिलंब के एक सिरे (जो प्रथम चतुर्थांश में है) पर खींची गई स्पर्श रेखा $x$-अक्ष तथा $y$-अक्ष को क्रमश बिन्दुओं $A$ तथा $B$ पर मिलती हैं, तो $( OA )^{2}-( OB )^{2}$, जहाँ $O$ मूल बिंदु है, बराबर है
$ - \frac{{20}}{9}$
$ \frac{{16}}{9}$
$4$
$ - \frac{{4}}{3}$
बिन्दुओं $(3, 0)$ तथा $(3\sqrt 2 ,\;2)$ से गुजरने वाले अतिपरवलय की उत्केन्द्रता होगी
सरल रेखा $y = mx + c$ वक्र $\frac{{{x^2}}}{{{a^2}}} - \frac{{{y^2}}}{{{b^2}}} = 1$ को स्पर्श करती है, यदि
रेखा $x + 3y = 2$ के लम्बवत् शांकव $3{x^2} - {y^2} = 3$ की स्पर्श रेखाओं का समीकरण है
एक अविपरवलय बिंदु $P(\sqrt{2}, \sqrt{3})$ से होकर जाता है, तथा उसकी नाभियाँ $(\pm 2,0)$ पर है, तो अतिपरवलय के बिंदु $P$ पर खींची गई स्पर्शरिखा जिस बिंदु से होकर जाती है, वह है:
माना दीर्घवृत्त $\frac{x^2}{16}+\frac{y^2}{7}=1$ तथा अतिपरवलय $\frac{x^2}{144}-\frac{y^2}{\alpha}=\frac{1}{25}$ की नाभियाँ सम्पाती हैं। तो अतिपरवलय के नाभिलंब जीवा की लंबाई है :