$A, B$ और $C$ आवेशित कण, जिन पर आवेश क्रमश : $-4 q, 2 q$ तथा $-2 q$ है, $d$ त्रिज्या के एक वृत की परिधि पर रखे हुए है। कण $A , C$ और वृत का केन्द्र $O$ एक समबाहु त्रिभुज बनाते हैं। (चित्र देखें)। तब $O$ पर $x$-दिशा में विधुत क्षेत्र का मान है :

830-1193

  • [JEE MAIN 2020]
  • A

    $\frac{2 \sqrt{3} q}{\pi \varepsilon_{0} d^{2}}$

  • B

    $\frac{\sqrt{3} \mathrm{q}}{4 \pi \varepsilon_{0} \mathrm{d}^{2}}$

  • C

    $\frac{3 \sqrt{3} \mathrm{q}}{4 \pi \varepsilon_{0} \mathrm{d}^{2}}$

  • D

    $\frac{\sqrt{3} q}{\pi \varepsilon_{0} d^{2}}$

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${10^{ - 6}}$ किलोग्राम पानी की बूंद पर ${10^{ - 6}}\,C$ आवेश है। इसके भार को सन्तुलित करने के लिए कितना विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाना चाहिए ($g = 10$ मीटर/सैकण्ड$^{2}$)

वायु की अवरोधकता $E = 3 \times {10^6}\, V/m$ की वैद्युत तीव्रता पर टूट जाती है। कूलॉम मात्रक में $5$ मी व्यास के गोलाकार को कितना अधिकतम आवेश दिया जा सकता है

एक आवेश से $0.1\,m$ की दूरी पर विद्युत क्षेत्र  $1\,N/C$ है। आवेश का परिमाण होगा

$L (=20 cm )$ लम्बाई के एक तार को एक अर्ध वृत्ताकार चाप के रूप में मोड़ दिया गया है। यदि इस चाप के दो समान भागों को $\pm Q$ आवेश से एकसमान आवेशित कर दिया जाय $\left[| Q |=10^{3} \varepsilon_{0}\right.$ कूलॉम जहाँ $\varepsilon_{0}$ ($SI$ मात्रक में) मुक्त आकाश की विद्युतशीलता (परावैद्युतांक) है ], तो, अर्धवृत्ताकार चाप के केन्द्र $O$ पर नेट विद्युत क्षेत्र होगा :

  • [JEE MAIN 2015]

त्रिज्या $R$ के एक एकसमान आवेशित वलय के विध्युत क्षेत्र का मान उसके अक्ष पर केंद्र से $h$ दूरी पर अधिकतम है। $h$ का मान होगा:

  • [JEE MAIN 2019]