धारिता $C$ तथा $2 C$ के दो संधारित्रों को क्रमशः $V$ तथा $2 V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। तत्पश्चात इन दोनों को इस तरह समांतर क्रम में जोड़ते हैं कि एक का धनात्मक सिरा दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़ जाता है। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा होगी। ($CV^2$ में)
$4.5$
$4.16$
$0$
$1.5$
दो गोलीय चालकों को जिसकी प्रत्येक की धारिता $C$ है, विभव $V$ और $ - V$ तक आवेशित किया गया है तत्पश्चात् इन्हें एक बारीक तार से संबद्ध किया गया है। इससे ऊर्जा में ह्यस होगा
किसी पूर्णत: आवेशित संधारित्र की धारिता $‘C’$ है। इस संधारित्र का विसर्जन प्रतिरोधी तार की बनी किसी ऐसी छोटी कुण्डली से होकर किया जाता है, जो द्रव्यमान $‘m’$ तथा विशिष्ट ऊष्माधारिता $'s'$ के किसी ऊष्मारोधी गुटके में अंत: स्थापित है। यदि गुटके के ताप में वृद्धि ‘$\Delta T$’ है, तो संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर है
धारिता $10\,\mu F$ के $100$ संधारित्र को समान्तर क्रम में जोड़ कर $100\,kV$ विभवान्तर से आवेशित किया जाता है। अगर विद्युत ऊर्जा का मूल्य $108$ पैसे प्रति $kWh$ है तो संधारित्रों में संचित ऊर्जा का मान और आवेशित करने में कुल खर्च हुए पैसे होंगे
$4$ $\mu\,F$ धारिता वाले संधारित्र को $400\, V$ से आवेशित करके इसकी प्लेटों को एक प्रतिरोध द्वारा आपस में जोड़ देते हैं। प्रतिरोध में उत्पन्न ऊष्मा ........$J$ होगी
एक संधारित्र की धारिता $2\,\mu \,F$ है एवं इसे $50\, V$ तक आवेशित किया गया है। इसमें संचित ऊर्जा है