दो एक समान आवेशित गोले बराबर लम्बाई की डोरी से लटके है। डोरियाँ एक दूसरे के साथ $\theta$ कोण बनाती है। जब पानी में लटकाया जाता है, तो कोण समान रहता हैं। यदि गोले के पदार्थ का घनत्व $1.5 \mathrm{~g} / \mathrm{cc}$ हो तो पानी का परावैद्युतांक. . . . . . . . . होगा।
(पानी का घनत्व $=1 \mathrm{~g} / \mathrm{cc}$ )
$4$
$8$
$7$
$3$
अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल $A$ तथा पृथकन $d$ के कि समांतर पट्टिका संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच वा भरी है । इन पट्टिकाओं के बीच मोटाई $d / 2$ और समान क्षेत्रफल का कोई विद्युतरोधी गुटका, जिसके परावैद्युतांक $K(=4)$ है, आरेख में दर्शाए अनुसार सन्निवेशित कर दिया गया है । इस संधारित्र की नये धारिता और मूल धारिता का अनुपात होगा -
संधारित्र की प्लेटों के बीच एक परावैद्युत पदार्थ रखने पर, धारिता, विभव एवं स्थितिज ऊर्जा में क्रमश: होती है
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य $d$ मोटाई की परावैद्युत पट्टी रखी जाती है। संधारित्र की ऋणात्मक प्लेट $x = 0$ पर है तथा धनात्मक प्लेट $x = 3d$ पर है। परावैद्युत पट्टी की दोनों प्लेटों से दूरी समान है। संधारित्र को फिर आवेशित किया जाता है। जैसे-जैसे $x$ का मान $0$ से $3d$ हो जायेगा
$K$ परावैद्युतांक वाले किसी गुटके के अनुप्रस्थकाट का क्षेत्रफल, एक समानान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्यियों के क्षेत्रफल के बराबर है, एवं उसकी मोटाई $\frac{3}{4} d$ है, जहाँ $d$ संधारित्र की पट्यिं के बीच की दूरी है। जब गुटके को संधारित्र की प्लेटों के बीच में रखा जाता है तो इसकी धारिता होगी : (दिया है $C _{ o }$ संधारित्र की प्रारम्भिक धारिता है)
एक वायु संधारित्र की धारिता $C$ है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी को दोगुना करके इसे एक द्रव में डुबो दिया जाये तो धारिता दो गुनी हो जाती है। द्रव का परावैद्युतांक होगा