समान द्रव्यमान के दो लघु गोलीय धातु गैदें $1\;mm$ तथा $2 \;mm$ त्रिज्या तथा $\rho_1$ व $\rho_2\; (\rho_1 = 8\rho_2)$ घनत्व के पदार्थों की बनी हुई है। ये एक श्यान माध्यम में ऊर्ध्वाधर गिरती है जिनका श्यानता गुणांक बराबर है तथा जिसका घनत्व $0.1\rho_2$ है। इनके सीमांत वेगो का अनुपात होगा
$\frac{79}{72}$
$\frac{19}{36}$
$\frac{39}{72}$
$\frac{79}{36}$
कमरे के ताप पर किसी तेल की टंकी में गिर रही $5\,mm$ त्रिज्या वाली किसी ताँबे की गेंद का सीमांत वेग $10\, cm\,s ^{-1}$ है। यदि कमरे के ताप पर तेल की श्यानता $0.9\,kg\,m ^{-1}\,s ^{-1}$ है, तो. आरोपित श्यान बल है :
निम्न प्रदर्शित वक्रों में से कौन सा वक्र किसी श्यान द्रव के लंबे स्तंभ में उध्र्वाधरत: नीचे गिरते हुए छोटे आकार के गोले के वेग के समय के साथ परिवर्तन को पूर्णतया दर्शता है
मिलिकन तेल बूँद प्रयोग में, $2.0 \times 10^{-5} \;m$ त्रिज्या तथा $1.2 \times 10^{3} \;kg m ^{-3} .$ घनत्व की किसी बूँद की सीमांत चाल क्या है ? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता $1.8 \times 10^{-5}\; Pa\; s$ लीजिए । इस चाल पर बूँद पर श्यान बल कितना है ? (वायु के कारण बूँद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए)
सांकेतिक चित्र में दर्शाए अनुसार, दो पात्रों में पोटेशियम परमेंगनेट $\left( KMnO _4\right)$ के जल विलयन (तापमान $T$ पर) निहित है, जिनमें प्रति इकाई आयतन अणुओं की भिन्न-भिन्न सांद्रता $n _1$ व $n _2\left( n _1> n _2\right)$ है जबकि $\Delta n =\left( n _1- n _2\right) \ll n _1$ है। जब इन्हें कम लम्बाई $\ell$ व अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल $S$ की नलिका द्वारा संयोजित किया जाता है, $KMnO _4$ नलिका से होते हुए बाँये से दाँये पात्र में विसरित होना प्रारम्भ करता है। माना अणुओं का संग्रह तनु आदर्श गैसों की भाँति व्यवहार करता है तथा दोनों पात्रों में इनके आंशिक दाब में अंतर के कारण विसरण होता है। अणुओं की चाल $v$ को प्रत्येक अणु पर श्यान बल $-\beta v$ द्वारा सीमित किया जाता है, जहाँ $\beta$ एक नियतांक है। $(\Delta n )^2$ कोटी के सभी पदों को नगण्य मानते हुए, निम्नलिखित में से कौनसा/कौनसे सही है/हैं? ( $k _{ B }$ बोल्ट्जमान नियतांक है)
$(A)$ नलिका के पार गति करने वाले अणुओं के कारण बल $\Delta nk _{ B } TS$ है।
$(B)$ बल संतुलन का अभिप्राय है $n _1 \beta v \ell=\Delta nk _{ B } T$
$(C)$ प्रति सेकण्ड नलिका के पार जाने वाले अणुओं की कुल संख्या $\left(\frac{\Delta n}{\ell}\right)\left(\frac{k_B T}{\beta}\right) S$ है
$(D)$ नलिका से स्थानान्तरित होने वाले अणुओं की दर समय के साथ परिवर्तित नहीं होती है।
एक पानी की बूंद जिसकी त्रिज्या $1\,\mu m$ है, ऐसी स्थिति में गिरती है, जहाँ उत्पलावक बल का प्रभाव नगण्य है। यदि वायु का श्यानता गुणांक $1.8 \times 10^{-5}\,Nsm ^{-2}$ है तथा इसका घनत्व पानी के घनत्व $10^6\,gm ^{-3}$ की तुलना में नगण्य हो तो पानी की बूँद का सीमान्त वेग $..........\times 10^{-6}\,ms ^{-1}$ होगा (गुरूत्वीय त्वरण $g =10\,ms ^{-2}$ )