यदि एक सरल लोलक दोलन करते हुये $10\,cm$ की ऊध्र्वाधर ऊँचाई प्राप्त करता है। तो माध्य स्थिति पर इसका वेग होगा ($g = 9.8\, m/s^{2}$) .... $m/s$
$2.2$
$1.8$
$1.4$
$0.6$
एक सरल लोलक का आवर्तकाल $T$ है। यदि लोलक की लम्बाई $21\% $ बढ़ा दी जाये तो इसका आवर्तकाल कितने .... $\%$ प्रतिशत बढ़ जायेगा
एक $r$ त्रिज्या का गोला, $R$ वक्रता त्रिज्या के अवतल दर्पण पर रखा है। इस व्यवस्था को क्षैतिज टेबिल पर रख दिया जाता है। यदि गोले को मध्यमान स्थिति से थोड़ा विस्थापित कर छोड दिया जाये तो वह सरल आवर्त गति करने लगता है। इसके दोलन का आवर्तकाल होगा (अवतल दर्पण का पृष्ठ घर्षण रहित एवं फिसलने वाला है न कि लुढ़कने वाला)
किसी सरल लोलक का गोलक पानी में आवर्तकाल $t$ के साथ सरल आवर्त गति करता है, जबकि इस गोलक के दोलन का वायु में आवर्तकाल ${t_0}$ है। पानी का घर्षण बल नगण्य मानते हुए, यदि गोलक का घनत्व $(4/3) ×1000 \,kg/m^3$ दिया गया है, तब निम्नलिखित में कौन सा संबंध सही है
एक सरल लोलक को यदि पृथ्वी से चन्द्रमा की सतह पर ले जाकर दोलन कराया जाये तो इसका दोलन काल
$1$ मी लम्बे तथा $2$ सेमी आयाम वाले सरल लोलक का आवर्तकाल $5$ सैकण्ड है। यदि इसका आयाम $4$ सेमी कर दिया जाये तब आवर्तकाल होगा (सैकण्ड में)