एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों को अलग-अलग करने में, किसी बाह्य कारक द्वारा किया गया कार्य है

  • [AIIMS 2002]
  • A

    $CV$

  • B

    $\frac{1}{2}{C^2}V$

  • C

    $\frac{1}{2}C{V^2}$

  • D

    इनमें से कोई नहीं

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$900\  \mu \mathrm{F}$ धारिता वाले एक संधारित्र को $100 \mathrm{~V}$ वाली बैटरी के द्वारा आवेशित किया जाता है। अब इसे बैटरी से हटाया जाता है, एवं किसी दूसरे एकसमान अनावेशित संधारित्र के साथ इस प्रकार जोड़ा जाता है कि अनावेशित संधारित्र की एक पट्टी, आवेशित संधारित्र की धन पट्टी से एवं दूसरी पट्टी आवेशित संधारित्र की ऋण पट्टी से जुड़ती है। इस प्रक्रिया में हुई ऊर्जा क्षय का मान $\mathrm{x} \times 10^{-2} \mathrm{~J}$ है। $\mathrm{x}$ का मान होगा

  • [JEE MAIN 2023]

एक समान्तर प्लेट संधारित्र का प्लेट-क्षेत्रफल $A$ तथा प्लेट अन्तराल $d$ है। इसे $V_o$ विभव तक आवेशित किया जाता है। आवेशक बैटरी को हटाकर इसकी प्लेटों को दूर की ओर खींच कर इसका प्लेट अन्तराल पूर्व की तुलना में तीन गुना कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में किया गया कार्य है

एक $10\,pF$ धारिता के संधारित्र को $50\, V$ बैटरी से जोड़ा गया है। संधारित्र के अन्दर संचित विद्युत स्थितिज ऊर्जा होगी

श्रेणी क्रम में जुड़े (संयोजित ) $n_{1}$ संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $C_{1}$ है। इस संयोजन को $4\, V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। एक अन्य संयोजन में $n_{2}$ संधारित्रों को, जिनमें प्रत्येक की धारिता $C_{2}$ है, समान्तर (पाश्र्व) क्रम में जोड़कर, $V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। यदि इन दोनो संयोजनों में संचित ऊर्जा समान (बराबर) हो तो $C_{1},$ के पदों $C_{2}$ का मान होगा

  • [AIEEE 2012]

यदि एक संधारित्र का आवेश $2\,C$ से बढ़ता है तो इसमें संचित ऊर्जा $44\, \%$ से बढ़ती है। संधारित्र पर मूल आवेश ज्ञात कीजिए (कूलाम में)

  • [JEE MAIN 2022]