किसी बीकर में रखे द्रव में कोई पिण्ड तैर रहा है। सम्पूर्ण निकाय (चित्रानुसार) गुरुत्व के अधीन मुक्त रूप से गिर रहा है। द्रव के कारण पिण्ड पर उत्प्लावक बल होगा

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  • [IIT 1982]
  • A

    शून्य

  • B

    प्रतिस्थापित द्रव के भार के तुल्य

  • C

    वायु में पिण्ड के भार के तुल्य

  • D

    पिण्ड के द्रव में डूबे भाग के भार के तुल्य

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$L$$(L < H/2)$ लम्बाई के एक समांगी ठोस बेलन के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $A/5$है। बेलन द्रव-द्रव सम्पर्क सतह पर तैर रहा है। बेलन का अक्ष ऊध्र्वाधर हैै। चित्रानुसार, बेलन की $L/4$लम्बाई अधिक घनत्व वाले द्रव में डूबी है तथा कम घनत्व वाला द्रव वायुमण्डल में खुला है। वायुमण्डलीय दाब ${P_0}$हो तो ठोस का घनत्व होगा

  • [IIT 1995]

एक यंत्र हीलियम गैस से भरे हुए साबुन के बुलबुले बना रहा है। यह पाया गया कि यदि बुलबुलों की त्रिज्या $1 \,cm$ से कम हो तो स्थिर वायु में वे धरातल पर आ गिरते हैं। वहीं बड़े आकार के बुलबुले हवा में तैरते रहते हैं। मान लिजिये कि साबुन के बुलबुले की परत की मोटाई सभी बुलबुलों में समान है। यह भी मान लीजिये कि साबुन के घोल का घनत्व पानी के घनत्व $\left(=1000 \,kg m ^{-3}\right.$ ) के बराबर है। हीलियम का घनत्व बुलबुले के अंदर तथा वायु में क्रमशः $0.18 \,kg m ^{-3}$ तथा $1.23 \,kg m ^{-3}$ है। तब बुलबुलों के साबुन की परत की मोटाई ................ $\mu m$  होगी : (ध्यान दें : $1 \,\mu m =10^{-6} m$ )

  • [KVPY 2014]

लकड़ी का एक घनाकार गुटका (प्रत्येक भुजा $10 \,cm$) जल-तेल संपर्क सतह पर चित्रानुसार तैर रहा है। इसका निचला तल क्षैतिज है व संपर्क सतह से $4\, cm$ नीचे है। तेल का घनत्व $0.6gmc{m^{ - 1}}$ है तो लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान ...... $gm$ होगा

धातु के दो टुकड़े जल में डुबोने पर उन पर समान उत्प्लावन बल लगता है तो

एक आयताकार पिण्ड का आकार $5 cm × 5 cm × 10cm $ है। पिण्ड जल में इस प्रकार तैर रहा है कि $5 cm$  भुजा ऊध्र्वाधर है। यदि इसे जल में इस प्रकार रखें कि $10 cm$  भुजा ऊध्र्वाधर रहे, तो जल स्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा