एक कप काफी $'\mathrm{t}^{\prime}$ मिनट में $90^{\circ} \mathrm{C}$ से $80^{\circ} \mathrm{C}$ तक ठन्डी होती है, जब कमरे का ताप $20^{\circ} \mathrm{C}$ है। उसी कमरे के ताप पर समान तरह के कप में काफी को $80^{\circ} \mathrm{C}$ से $60^{\circ} \mathrm{C}$ तक ठन्डा करने में समय लगा होगा :
$\frac{13}{10} \mathrm{t}$
$\frac{13}{5} \mathrm{t}$
$\frac{10}{13} \mathrm{t}$
$\frac{5}{13} \mathrm{t}$
जल की कुछ मात्रा को $70^{\circ} C$ से $60^{\circ} C$ तक ठंडा होने में $5$ मिनट तथा $60^{\circ} C$ से $54^{\circ} C$ तक ठंडा होने में $5$ मिनट लगते हैं, तो जल के आसपास ( परिवेश) का ताप .........$^oC$ होगा
दो धात्विक गोले ${S_1}$ व ${S_2}$समान पदार्थों के बने हैं एवं इनके पृष्ठों की बनावट एकसमान है। ${S_1}$ का द्रव्यमान ${S_2}$ से तिगुना है। दोनों को समान उच्च ताप पर गर्म करके तथा इन्हें इससे कम ताप वाले समान कमरे में रख दिया जाता है जो कि परस्पर ऊष्मीय कुचालक हैं। ${S_1}$ के ठण्डा होने की प्रारम्भिक दर का ${S_2}$ के ठण्डा होने की प्रारम्भिक दर से अनुपात है
एक ही पदार्थ के समान सतह के दो गोले $A$ और $B$ हैं। $A$ का व्यास $B$ के व्यास का आधा है। यदि इन्हें समान ताप तक गर्म करके ठण्डा होने के लिये समान अवस्था में रखा जाता है, तो
न्यूटन के शीतलन नियम का पूर्ण पालन होता है जबकि वस्तु एवं वातावरण के बीच तापान्तर है
एक पात्र में $1 kg$ जल भरा हुआ है, इसे सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है, जिसके कारण जल परिवेश की तुलना में गर्म हो जाता है। सूर्य के प्रकाश के कारण प्राप्त की गई प्रति इकाई क्षेत्रफल प्रति इकाई समय औसत ऊर्जा $700 Wm ^{-2}$ है तथा इसे $0.05 m ^2$ के प्रभावी क्षेत्रफल पर जल द्वारा अवशोषित किया जाता है। माना कि जल से परिवेश की ओर ऊष्मा हानि न्यूटन के शीतलन के नियम द्वारा संचालित होती है, लम्बे समय के बाद जल तथा परिवेश के ताप में अन्तर $\left({ }^{\circ} C\right.$ में ). . . . . . . होगा। (पात्र के प्रभाव को नगण्य मानें तथा न्यूटन के शीतलन के नियम के लिए नियतांक $=0.001 s ^{-1}$ लें, जल की ऊष्मा धारिता $\left.=4200 J kg ^{-1} K ^{-1}\right)$