एक अतिपरवलय का केंद्र मूल बिंदु पर है, तथा यह बिंदु $(4,2)$ से होकर जाता है और इसका अनुप्रस्थ (transverse) अक्ष, $x$-अक्ष के अनुदिश है जिसकी लम्बाई $4$ है। तो इस अतिपरवलय की उत्कें द्रता (eccentricity) है
$\frac {2}{\sqrt 3}$
$\frac {3}{2}$
$\sqrt 3$
$2$
$0 < \theta < \pi / 2$ के लिए,
यदि अतिपरवलय $x^2-y^2 \operatorname{cosec}^2 \theta=5$ की उत्केन्द्रता, दीर्घवृत्त $x^2 \operatorname{cosec}^2 \theta+y^2=5$ की उत्केन्द्रता की $\sqrt{7}$ गुना है, तो $\theta$ का मान है :
एक अतिपरवलय $4 x^{2}-y^{2}=36$ के बिंदुओ $P$ तथा $Q$ पर स्यर्श रेखाएँ खींची जाती है। यदि यह स्पर्शरखाएँ बिंदु $T(0,3)$ पर काटती हैं, तो $\Delta P T Q$ का क्षेत्रफल (वर्ग इकाइयों में) है
माना $H : \frac{ x ^2}{ a ^2}-\frac{ y ^2}{ b ^2}=1, a >0, b >0$ एक अतिपरवलय इस प्रकार है कि अनुप्रस्थ तथा संयुग्मी अक्षों की लम्बाईयों का योगफल $4(2 \sqrt{2}+\sqrt{14})$ है। यदि अतिपरवलय $H$ की उत्केन्द्रता $\frac{\sqrt{11}}{2}$ है, तो $a ^2+ b ^2$ का मान है $...........$
निम्नलिखित अतिपरवलयों के शीर्षों और नाभियों के निर्देशांकों, उत्केंद्रता और नाभिलंब जीवा की लंबाई ज्ञात कीजिए।
$y^{2}-16 x^{2}=16$
आयताकार अतिपरवलय की उत्केन्द्रता का व्युत्क्रम है