माना अतिपरवलय $\mathrm{H}$ की नाभियाँ $\mathrm{A}(1 \pm \sqrt{2}, 0)$ तथा उत्केन्द्रता $\sqrt{2}$ है। तो $\mathrm{H}$ की नाभिलंब जीवा की लंबाई है :
$2$
$3$
$\frac{5}{2}$
$\frac{3}{2}$
अतिपरवलय $16{x^2} - 9{y^2} = 144$ पर कोई बिन्दु $P$ है। यदि ${S_1}$ तथा ${S_2}$ इसकी नाभियाँ हों, तो $P{S_1} - P{S_2} = $
प्रतिबंधों को संतुष्ट करते हुए अतिपरवलय का समीकरण ज्ञात कीजिए
नाभियाँ $(0, \pm \sqrt{10})$, हैं तथा $(2,3)$ से होकर जाता है।
वक्रों $C _1: \frac{ x ^2}{4}+\frac{ y ^2}{9}=1$ तथा $C _2: \frac{ x ^2}{42}-\frac{ y ^2}{143}=1$ की एक ऊभयनिष्ठ स्पर्श रेखा $T$ चतुर्थ चतुर्थाश से होकर नहीं जाती। यदि $T$ वक्र $C _1$ को $\left( x _1, y _1\right)$ पर तथा वक्र $C _2$ को $\left( x _2, y _2\right)$ पर स्पर्श करती है, तो $\left|2 x _1+ x _2\right|$ बराबर है $..........$
एक अतिपरवलय की नाभियाँ $( \pm 2,0)$ हैं तथा इसकी उत्केन्द्रता $\frac{3}{2}$ है। प्रथम चतुर्थांश में अतिपरवलय के एक बिंदु पर एक स्पर्श रेखा, जो $2 x+3 y=6$ के लंबवत है, खींची जाती है। यदि यह स्पर्श रेखा, $x$ - तथा $y$-अक्षों पर क्रमशः अंतःखंड $a$ तथा $b$ बनाती है, तो $|6 \mathrm{a}|+|5 \mathrm{~b}|$ बराबर है_______.
उस अतिपरवलय, जिसकी नाभि दीर्घवृत्त $\frac{{{x^2}}}{{25}} + \frac{{{y^2}}}{9} = 1$ की नाभि के बराबर है, तथा उत्केन्द्रता $2$ है का समीकरण होगा