एक रेडियोधर्मी पदार्थ उत्सर्जित करता है

  • A

    विद्युत चुम्बकीय विकिरण

  • B

    नाभिक के चारों ओर घूमने वाले इलेक्ट्रॉन

  • C

    आवेशित कण

  • D

     बन्ने $(a)$ ओर $(c)$

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एक रेडियोधर्मी प्रतिदर्श में, एक औसत आयु में प्रारम्भिक सक्रिय नाभिकों की संख्या का कितने ............$\%$ प्रतिशत क्षय हो जाएगा

रेडियोधर्मी पदार्थ द्वारा उत्सर्जित a-किरणें हैं

जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए $15$ क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक $_{6}^{14} C$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव $_{6}^{12} C$ के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमंडल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया ( जो उपरोक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है ) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। $_{6}^{14} C$ की ज्ञात अर्धायु ( $5730$ वर्ष ) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निक आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली $_{6}^{14} C$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धांत है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता $9$ क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता की सन्नकट आयु का आकलन कीजिए।

दो कण जिनके अर्द्ध-आयुकाल क्रमश: $1620$ और $810$ वर्ष हैं, के एक साथ उत्सर्जन से रेडियोएक्टिव पदार्थ क्षय होता है। पदार्थ की $1/4$ मात्रा के बचने लिये समय (वर्षो में) होगा

  • [AIIMS 2008]

नाभिक $^{131}I$ रेडियोएक्टिव है, जिसकी अर्द्धआयु $8.04$ दिन है $1$ जनवरी को दोपहर में एक निश्चित नमूने की सक्रियता $60089$ है। $24$ जनवरी को दोपहर में नमूने की सक्रियता होगी