एक संधारित्र पर आवेश $Q$ विभव $V$ के साथ परिवर्तित होता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, जहाँ $Q$, $X$-अक्ष के अनुदिश एवं $V$, $Y$-अक्ष के अनुदिश है। त्रिभुज $OAB$ प्रदर्शित करता है
धारिता
धारितीय प्रतिघात
प्लेटों के बीच चुम्बकीय क्षेत्र
संधारित्र में संचित ऊर्जा
एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी
तीन समान संधारित्रों को भिन्न-भिन्न क्रम में जोड़ा जाता है, किस क्रम में समान विभव पर, मह़त्तम ऊर्जा संग्रहित होगी
दो छोटे गोलाकार परस्पर $r$ दूरी पर रखे गये हैं। प्रत्येक पर $q$ वैद्युत आवेश है। यदि एक गोलाकार को दूसरे गोलाकार के चारों ओर $r$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर घुमाया जाता है तो सम्पन कार्य होगा
एक परिवर्ती संधारित्र को स्थाई रूप से $100$ $V$ की बैटरी से जोड़ा गया है। यदि धारिता $2\,\mu \,F$ से बदलकर $10\,\mu \,F$ कर दी जाये तो ऊर्जा में परिवर्तन है
$0.3\,\mu F$ और $0.6\,\mu F$ धारिता के दो संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हुये हैं। यदि संयोजन को $6\,volts$ के स्रोत से जोड़ दिया जाये, तो प्रत्येक संधारित्र पर संग्रहित ऊर्जा का अनुपात होगा