एक रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध-आयु $T$ है। सभी नाभिकों का विघटन होने में समय लगेगा
$2T$
$T^2$
$4T$
अनिश्चित
अनिश्चित, क्योंकि यह अनन्त है।
कोई भी रेडियोसक्रिय तत्व पूर्णत: विघटित नहीं हो सकता।
दो रेडियोधर्मीं तत्व $A$ तथा $B$ की अर्द्धआयु क्रमशः $20 \, min$ तथा $40\, min$ हैं। प्रारंभ में दोनों के नमूनों में नाभिकों की संख्या बराबर है। $80 \,min$ के उपरांत $A$ तथा $B$ के क्षय हुए नाभिकों की संख्या का अनुपात होंगा:
एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्द्ध-आयु $10$ दिन है। इस पदार्थ का कितना अंश $30$ दिन के बाद बचेगा
एक तुंरत तैयार किया हुआ रेडियों आइसोटोप प्रतिदर्श, जिसकी अर्द्ध-आयु $1386 s$ है, की सक्रियता $10^3$ विघटन प्रति सैकण्ड है। यदि $\ln 2=0.693$ है, तब प्रथम $80 s$ में विघटित नाभिकों व प्रारंभिक की संख्याओं का अनुपात (प्रतिशत निकटम पूर्णांक में) है।
किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के $\lambda $ व अर्द्ध-आयु $({T_{1/2}})$ में सम्बन्ध है
किसी रेडियोधर्मी पदार्थ की $16$ दिनों मे मात्रा घट कर $25\% $ रह जाती है। इसकी अर्द्धआयु ………..दिन है
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