रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध-आयु निर्भर करती है
उपस्थित तत्व के द्रव्यमान पर
ताप पर
दाब पर
तत्व की प्रकृति पर
किसी पदार्थ की अर्द्धआयु मात्रा, ताप एवं दाब पर निर्भर नहीं करती है।
यह पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।
एक रेडियोएक्टिव तत्व के $N$ परमाणुओं द्वारा प्रति सैकण्ड $n$ अल्फा कण उत्सर्जित होते हैं। तत्व की अर्द्ध-आयु है
यदि $ {N_0} $ किसी पदार्थ का मूल द्रव्यमान है एवं इसका अर्द्धआयुकाल ${T_{1/2}} = 5$ वर्ष है। तो $15$ वर्षो बाद बचे पदार्थ की मात्रा है
एक रेडियोसक्रिय नाभिक $\alpha$- प्रति सेकेण्ड की नियत दर से उत्पन्न हो रहा है। क्षय नियतांक $\lambda $ है। यदि समय $t = 0$ पर नाभिकों की संख्या $N_0$ है तब अधिकतम सम्भव नाभिकों की संख्या है
यदि $t_{1/2}$ पदार्थ की अर्द्ध आयु है तब $t_{3/4}$ वह समय है, जिसमें पदार्थ का
दो रेडियोएक्टव पदार्थों, $^{\prime}A^{\prime}$ तथा $^{\prime}B^{\prime}$ के क्षयांक क्रमशः $^{\prime}8$ $\lambda^{\prime}$ तथा $^{\prime} \lambda ^{\prime}$ हैं। प्रारंभ में दोनों के नाभिकों की संख्या समान है। कितने समय के पश्चात् पदार्थ $^{\prime} B ^{\prime}$ में नाभिकों की संख्या का $^{\prime} A ^{\prime}$ में नाभिकों की संख्या से अनुपात $\frac{1}{e}$ होगा?
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