यदि बल [F], त्वरण [A] तथा समय [T] को मुख्य भौतिक राशियाँ मान लिया जाए, तो ऊर्जा की विमा ज्ञात कीजिए।
$[\mathrm{F}][\mathrm{A}][\mathrm{T}]$
$[\mathrm{F}][\mathrm{A}]\left[\mathrm{T}^{2}\right]$
$[F][\mathrm{A}]\left[\mathrm{T}^{-1}\right]$
$[\mathrm{F}]\left[\mathrm{A}^{-1}\right][\mathrm{T}]$
कुछ गैसों की अवस्था की समीकरण $\left(P+\frac{a}{V^2}\right)$ $(V-b)=R T$ से प्रदर्शित होती है, जहाँ $P$ दाब, $\mathrm{V}$ आयतन, $\mathrm{T}$ ताप तथा $a, b, R$ नियतांक हैं। $\frac{b^2}{a}$ के समतुल्य विमीय सूत्र वाली भौतिक राशि होगी:
यदि प्रकाश वेग $(c)$, सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक $[G]$, प्लांक नियतांक $[h]$ को मूल मात्रकों की तरह प्रयुक्त किया जाये तब इस नयी पद्धति में समय की विमा होगी
$\frac{ B ^{2}}{2 \mu_{0}}$, जहाँ $B$ चुम्बकीय क्षेत्र है और $\mu_{0}$ निर्वात की चुम्बकीय पागम्यता है, की विमायें हैं।
कोहरे की स्थिति में वह दूरी $d$, जहाँ से सिग्नल स्पष्ट रूप से दिखाई दे, जानने के लिए एक रेलवे इंजीनियर विमीय विश्लेषण का प्रयोग करता है। उसके अनुसार यह दूरी $d$ कोहरे के द्रव्यमान घनत्व $\rho$ सिग्नल के प्रकाश की तीव्रता $S$ (शक्ति/क्षेत्रफल) तथा उसकी आवृत्ति $f$ पर निर्भर है। यदि इंजीनियर $d$ को $S ^{1 / n}$ के समानुपाती पाता है, तब $n$ का मान है :