यदि एक सरल लोलक की लम्बाई $9 $ गुना एवं इसके गोलक का द्रव्यमान $4$ गुना कर दें तो इसका दोलनकाल हो जायेगा ($T =$ प्रारम्भिक दोलनकाल)
$3T$
$\frac{3}{2}T$
$4T$
$2T$
यदि सरल लोलक की लम्बाई $44\%$ से बढ़ा दी जाये तो इसके दोलनकाल में कितने ..... $\%$ प्रतिशत का परिवर्तन आयेगा
सरल लोलक जिसकी लम्बाई $L$ तथा गोलक का द्रव्यमान $M $ है, एक तल में ऊध्र्वाधर रेखा के परित: $ - \,\phi $ तथा $\phi $ सीमाओं के बीच दोलन कर रहा है। कोणीय विस्थापन $\theta (|\theta |\, < \phi )$, डोरी में तनाव तथा गोलक का वेग क्रमश: $T$ तथा $v$ है। उपरोक्त दशाओं में निम्नलिखित में से कौन-सा सम्बन्ध सही है
एक सरल दोलक एक गुटके से जुड़ा है जो $A B C$ की ढलान सतह पर बिना घर्षण के सरकता है। ढलान कोण $\alpha$ है। जब गुटका नीचे सरक रहा है तब दोलक इस प्रकार दोलन करता है कि अपनी औसत-स्थिति (mean position) पर रस्सी की दिशा
एक लोलक जिसकी लम्बाई $l$ है, के गोलक को पकड़कर $\theta $ कोण से विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है। लोलक का मध्यमान स्थिति में वेग $v$ है, तब $v$ का मान है
किसी लोलक का गोलक एक क्षैतिज अवस्था से छोड़ा जाता है। लोलक की लम्बाई $10$ मी. है। सबसे निचले बिन्दु पर पहुँचने पर गोलक की चाल क्या होगी जबकि इसकी प्रारम्भिक ऊर्जा का $10 \%$ वायु प्रतिरोध के विरुद्ध व्यय होता है :
[दिया है, $\mathrm{g}: 10 \mathrm{~ms}^{-2}$ ]