यदि एक दीर्घवृत्त की नाभिलम्ब जीवा के एक किनारे पर अभिलम्ब लघु अक्ष के एक शीर्ष से होकर जाता है, तो दीर्घवृत्त की उत्केन्द्रता $e$ सन्तुष्ट करती है
$e ^{2}+2 e -1=0$
$e ^{2}+ e -1=0$
$e ^{4}+2 e ^{2}-1=0$
$e ^{4}+ e ^{2}-1=0$
यदि दीर्घवृत्त की नाभियाँ तथा शीर्ष क्रमश: $( \pm 1,\;0)$ तथा $( \pm 2,\;0)$ हों, तो उसका लघु अक्ष है
माना दीर्घवत्त $\frac{x^{2}}{8}+\frac{y^{2}}{4}=1$ पद दूसरे चतुर्थाश में एक बिंदु $P$ इस प्रकार है कि $P$ पर दीर्घवत की स्पर्श रेखा, रेखा $x +2 y =0$ के लंबवत हैं। माना दीर्घवत्त की नाभियों $S$ तथा $S^{\prime}$ है तथा इसकी उत्केन्द्रता $e$ है। यदि त्रिभुज SPS' का क्षेत्रफल $A$ है तो $\left(5- e ^{2}\right) . A$ का मान है
एक दीर्घवृत्त की नाभियों के बीच की दूरी, इसके नाभिलंब की लंबाई की आधी है, तो दीर्घवृत्त की उत्केंद्रता है
माना दीर्घवृत्त $\frac{x^2}{a^2}+\frac{y^2}{b^2}=1, a>b$ की उत्केन्द्रता $\frac{1}{\sqrt{2}}$ है तथा नाभिलंब जीवा की लम्बाई $\sqrt{14}$ है, तो $\frac{x^2}{a^2}-\frac{y^2}{b^2}=1$ की उत्केन्द्रता का वर्ग है :
दीर्घवृत्त $\frac{{{x^2}}}{{{a^2}}} + \frac{{{y^2}}}{{{b^2}}} = 1$ के बिन्दु $(a\cos \theta ,\;b\sin \theta )$ पर अभिलम्ब का समीकरण होगा