दो धातुओं $\mathrm{A}$ एवं $\mathrm{B}$ को $350 \mathrm{~nm}$ तरंगदैर्ध्य वाले विकिरण से प्रदीप्त किया जाता है। धातुओं $\mathrm{A}$ एवं $\mathrm{B}$ का कार्यफलन $4.8\ \mathrm{eV}$ एवं $2.2 \ \mathrm{eV}$ है तो सही विकल्प चुनें :
धातु $\mathrm{B}$, प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं करेगी।
धातु $A$ एवं $B$ दोनों प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करेगी।
धातु $A$ एवं $B$ दोनों प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं करेगी।
धातु $\mathrm{A}$, प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं करेगी।
प्रोटॉनों का $1$ माइक्रोऐम्पियर का पुंज जिसका अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल $0.5$ वर्ग मिलीमीटर है, $3 \times {10^4}m{s^{ - 1}}$ से गतिशील है। तब पुंज का आवेश घनत्व है
प्रकाश विद्युत प्रभाव के प्रयोग में आपर्तित फोटॉन
$10^{-5} \,Wm ^{-2}$ तीव्रता का प्रकाश एक सोडियम प्रकाश सेल के $2 \,cm ^{2}$ क्षेत्रफल के पृष्ठ पर पड़ता है। यह मान लें कि ऊपर की सोडियम की पाँच परतें आपतित ऊर्जा को अवशोषित करती हैं, तो विकिरण के तरंग-चित्रण में प्रकाश-विध्यूत उत्सर्जन के लिए आवश्यक समय का आकलन कीजिए। धातु के लिए कार्य-फलन लगभग $2 \,eV$ दिया गया है। आपके उत्तर का क्या निहितार्थ है
एक इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा $0.51\ MeV$ है। यदि यह इलेक्ट्रॉन $0.8\ c$ वेग से गतिमान है (यहाँ $c$ निर्वात में प्रकाश की चाल है) तो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ................ $MeV$ होगी
किसी अर्द्धगोलाकार सतह के वक्रता केन्द्र पर प्रकाश का एक बिंदु स्त्रोत रखा हुआ है। यह स्त्रोत $24 \mathrm{~W}$ की शक्ति उत्सर्जित करता है। अर्द्धगोलीय वक्र की वक्रता त्रिज्या $10 \mathrm{~cm}$ है एवं उसकी आंतरिक सतह पूर्णतः परावर्ती है। अर्द्धगोले पर, गिरने वाले प्रकाश के कारण आरोपित बल का मान $\times 10^{-8} \mathrm{~N}$ है।