सोनोमीटर के एक प्रयोग में, $256 Hz$ आवृत्ति का एक स्वरित्र $25cm$ लम्बाई के साथ अनुनाद में है एवं एक अन्य स्वरित्र $16 cm$ लम्बाई के साथ अनुनाद में है यदि दोनों स्थितियों में तनाव नियत हो तो द्वितीय स्वरित्र की आवृत्ति .... $Hz$ होगी
$163.84$
$400$
$320$
$204.8$
सितार से श्रोता तक आने में ध्वनि का प्रकार होता है
दोनों सिरों पर कसी $l$ लम्बाई की तनी हुयी डोरी में उत्पन्न अप्रगामी तरंग की तरंगदैध्र्य $\lambda $ है। तब
एक सोनोमीटर तार के कम्पनों की मूल आवृत्ति $n$ है यदि इसकी त्रिज्या दोगुनी कर दें और तनाव आधा कर दें तथा पदार्थ समान रहे तो मूल आवृत्ति होगी
यदि किसी सोनोमीटर-तार का तनाव चार गुना कर दिया जाये तो तार की मूल आवृत्ति .... $times $ गुणक से बढ़ जाएगी
$4\, kg$ भार से तनी हुयी डोरी में उत्पन्न मूल स्वर की आवृत्ति $256\,Hz$ है। अष्टक स्वर उत्पन्न करने के लिये आवश्यक भार .... $kg \,wt$ होगा