माना दीर्घवत्त $\frac{ x ^{2}}{9}+\frac{ y ^{2}}{1}=1$ तथा वत्त $x ^{2}+ y ^{2}=3$ के प्रथम चतुर्थाश में प्रतिच्छेदन बिन्दु पर स्पर्श रेखाओं के बीच न्यून कोण $\theta$ है। तब $\tan \theta$ बराबर है
$\frac{5}{2 \sqrt{3}}$
$\frac{2}{\sqrt{3}}$
$\frac{4}{\sqrt{3}}$
$2$
यदि रेखा $y = mx + c$ दीर्घवृत्त $\frac{{{x^2}}}{{{b^2}}} + \frac{{{y^2}}}{{{a^2}}} = 1$ को स्पर्श करती है, तो $c = $
उस दीर्घवृत्त, जिसके अक्ष निर्देशांक अक्ष है, जो बिन्दु $(-3,1)$ से होकर जाता है तथा जिसकी उत्केन्द्रता $\sqrt{\frac{2}{5}}$ है, का समीकरण है:
यदि दीर्घवृत्त $\frac{{{x^2}}}{{14}} + \frac{{{y^2}}}{5} = 1$ के बिन्दु $P(\theta )$ पर खींचे गये अभिलम्ब इसे पुन: $Q(2\theta )$ पर प्रतिच्छेद करते हैं, तो $\cos \theta $ बराबर है
वृत ${\left( {x - 1} \right)^2} + {y^2} = 1$ के व्यास को अर्द्ध लघु अक्ष लेकर तथा वृत ${x^2} + {\left( {y - 2} \right)^2} = 4$ के एक व्यास को अर्द्ध दीर्घ अक्ष लेकर एक दीर्घ वृत्त खिंचा गया। यदि दीर्घवृत्त का केन्ट्र मूलबिन्दु पर है तथा इसके अक्ष निर्देशांक अक्ष है, तो दीर्घवृत का समीकरण है
दीर्घवृत्त $\frac{{{x^2}}}{{{a^2}}} + \frac{{{y^2}}}{{{b^2}}} = 1$ के नाभिलम्ब के सिरों के उत्केन्द्र कोण हैं