रेडियम की अर्द्ध-आयु $1620$ वर्ष है तथा इसका परमाणु भार $226$ किलोग्राम प्रति किलो मोल है। इसके एक ग्राम के नमूने से प्रति सैकण्ड क्षय होने वाले परमाणुओं की संख्या होगी
(ऐवोगेड्रो संख्या $N = 6.02 \times {10^{26}}$ परमाणु/किलो मोल)
$3.61 \times {10^{10}}$
$3.6 \times {10^{12}}$
$3.11 \times {10^{15}}$
$31.1 \times {10^{15}}$
एक रेडियोधर्मी अभिक्रिया $_{92}{U^{238}}{ \to _{82}}P{b^{206}}$ में उत्सर्जित $\alpha $ और $\beta $ कणों की संख्या है
प्रारम्भ में ($t = 0$) पर रेडियोधर्मी तत्व के प्रतिदर्श का द्रव्यमान $10\,gm$ है। दो औसत आयु बाद इस तत्व के प्रतिदर्श का द्रव्यमान लगभग ...........$gm$ होगा
एक गांव को विधुत ऊर्जा प्रदान करने वाले नाभिकीय संयंत्र में एक $T$ वर्ष अर्द्ध-आयु के रेडियोधर्मी पदार्थ को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। प्रारम्भ में ईंधन की मात्रा इतनी है कि गाँव की सम्पूर्ण विधुत शक्ति की आवश्यकताऐं उस समय उपलब्ध विधुत शक्ति की $12.5 \%$ हैं। यदि यह संयंत्र गाँव की सम्पूर्ण ऊर्जा आवयश्यकताओं को अधिकतम $n T$ वर्षो के लिए पूरा कर सकता है। तब $n$ का मान है।
$\alpha$ -क्षयित हो रहे किसी रेडियोएक्टिव नमूने की अर्धायु $1.4 \times 10^{17}\, s$ है । यदि इस नमूने में नाभिकों की संख्या $2.0 \times 10^{21}$ है, तो इस नमूने की सक्रियता है, लगभग
एक रेडियोसक्रिय नमूने में समय $t = 0$ पर सक्रिय परमाणुओं की संख्या ${N_0}$ है। यदि किसी समय पर विघटन की दर $R$ एवं परमाणुओं की संख्या $N$ हो तो $R/N$ के परिवर्तन की प्रकृति समय के सापेक्ष होगी