चुम्बक को पूरी तरह विचुम्बकित किया जा सकता है
चुम्बक को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर
इसे थोड़ा सा गर्म करके
इसे बर्फ के ठंडे जल में डालकर
उचित क्षमता को एक विपरीत क्षेत्र के द्वारा
$1000$ $A{m^2}$ चुम्बकीय आघूर्ण के दो छड़ चुम्बक चित्र में दिखाये अनुसार $10\, cm$ भुजा वाले एक वर्ग के चारों कोनों पर रखें हैं। $P$ पर कुल चुम्बकीय प्रेरण.......$T$ होगा
$\mathrm{L}$ लम्बाई की एक लौह छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $\mathrm{M}$ है। यह लम्बाई के मध्य से इस प्रकार मोड़ा गया है कि दोनों भुजाएँ एक दूसरे के साथ $60^{\circ}$ का कोण बनाती है। इस नई चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण है:
चुंबकीय द्विध्रुव के कारण इसके केन्द्र से $20 \mathrm{~cm}$ की दूरी पर इसकी अक्ष पर स्थित बिन्दु पर चुंबकीय विभव $1.5 \times 10^{-5} \mathrm{Tm}$ है। द्विध्रुव का चुंबकीय आघूर्ण. . . . . . . $\mathrm{Am}^2$ है।
(दिया है: $\frac{\mu_0}{4 \pi}=10^{-7} \mathrm{TmA}^{-1}$ )
दो पृथक प्रयोगों में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में रखे छोटे चुम्बकों के उदासीन बिन्दु $r$ तथा $2r$ दूरी पर निरक्ष स्थिति में मिलते हैं। चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्णों का अनुपात है
दो एकसमान लघु चुम्बक, जिनमें प्रत्येक का चुम्बकीय आघूर्ण $ 10\,Am^2$ है, इस प्रकार व्यवस्थित की जाती है, कि इनके अक्ष एक दूसरे के लम्बव्त रहें एवं इनके केन्द्र एक ही सरल रेखा के अनुदिश एक क्षैतिज तल में हों। यदि इनके केन्द्रों के बीच की दूरी $0.2\, m $ है, तो इनके बीच में मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय प्रेरण होगा
$({\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,H{m^{ - 1}})$