भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मान लगभग $4 \times 10^{-5}\; T$ है। पृथ्वी की त्रिज्या $6.4 \times 10^{6}\; m$ है। तब पृथ्वी का द्विध्रुव आघूर्ण लगभग इस कोटि का होगा :
${10^{23}}\,A\,{m^2}$
${10^{20}}\,A\,{m^2}$
${10^{16}}\,A\,{m^2}$
${10^{10}}\,A\,{m^2}$
दो समान दण्ड चुम्बकों, जिसके केन्द्र $r $ मीटर दूरी पर हैं, के अक्ष एक ही रेखा पर हों, तब $4.8 \,N $ का बल लगता है। यदि इनके मध्य की दूरी $2r$ कर दी जाये, तो उनके बीच बल का मान .........$N$ कम हो जायेगा
एक छड़ चुम्बक की चुम्बकीय बल रेखाओं को निम्न में से किस चित्र द्वारा सही दर्शाया गया है
दो छोटे-छोटे छड़ चुम्बक एक रेखा में $d $ दूरी पर इस प्रकार रखे हैं कि उनके समान ध्रुव एक-दूसरे की ओर हैं । यदि प्रत्येक चुम्बक की लम्बाई $d $ के मुकाबले नगण्य हो, तो दोनों चुम्बकों के बीच बल निम्न के व्युत्क्रमानुपाती होगा
एक स्थायी चुम्बक
$(a)$ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ ( हर बिंदु पर) वह दिशा बताती हैं जिसमें ( उस बिंदु पर रखी) चुंबकीय सुई संकेत करती है। क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ प्रत्येक बिंदु पर गतिमान आवेशित कण पर आरोपित बल रेखाएँ भी हैं?
$(b)$ एक टोरॉइड में तो चुंबकीय क्षेत्र पूर्णत: क्रोड के अंदर सीमित रहता है, पर परिनालिका में ऐसा नहीं होता। क्यों?
$(c)$ यदि चुंबकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुंबकत्व संबंधी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?
$(d)$ क्या कोई छड़ चुंबक अपने क्षेत्र की वजह से अपने ऊपर बल आधूर्ण आरोपित करती है? क्या किसी धारावाही तार का एक अवयव उसी तार के दूसरे अवयव पर बल आरोपित करता है।
$(e)$ गतिमान आवेशों के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसका चुंबकीय आधूर्ण होगा, यद्यपि उसका नेट आवेश शून्य है?