सूर्य सभी दिशाओं में विकिरण द्वारा ऊर्जा देता रहता है। पृथ्वी पर प्रति सैकण्ड प्राप्त होने वाली औसत ऊर्जा का मान $1.4$ किलोवाट/मीटर$^2$ है। पृथ्वी और सूर्य के मध्य औसत दूरी $1.5 \times {10^{11}}$ मीटर है। सूर्य द्वारा प्रतिदिन ($1$ दिन $= 86400$ सैकण्ड) खोये हुए द्रव्यमान का मान होगा
$4.4 \times {10^9}$ किग्रा
$7.6 \times {10^{14}}$ किग्रा
$3.8 \times {10^{12}}$ किग्रा
$3.8 \times {10^{14}}$ किग्रा
$U^{238}$ का एक रेडियोसक्रिय नमूना एक प्रक्रिया द्वारा $Pb$ में विघटित हो जाता है, इस प्रक्रिया के लिए अर्द्ध-आयु $4.5 \times 10^9$ वर्ष है। $1.5 \times 10^9$ वर्ष बाद $Pb$ नाभिकों की संख्या एवं $U^{238}$ के नाभिकों की संख्या का अनुपात होगा (दिया है $2^{1/3} = 1.26$)
$^{215}At$ की अर्द्धआयु $100\mu\, s$है तो $^{215}At$ के प्रतिदर्श की रेडियो सक्रियता प्रारम्भिक मान की $1/16$ गुनी होने में लगा समय .......$\mu s$ है
एक रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध-आयु $T$ है। सभी नाभिकों का विघटन होने में समय लगेगा
किसी क्षण पर, किसी रेडियोक्रिय नमूने की विघटन दर $4250$ विघटन प्रति मिनट है। $10$ मिनट बाद, यह दर $2250$ विघटन प्रति मिनट हो जाती है। विघटन नियतांक लगभग $.........min^{-1}$ होगा: $\left(\log _{10} 1.88=0.274\right)$
$30$ वर्ष में किसी रेडियोएक्टिव तत्व की नाभिकीय एक्टिवता अपनी प्रारम्भिक एक्टिवता की $\left(\frac{1}{8}\right)$ गुनी हो जाती है। इस रेडियोएक्टिव तत्व की अर्धायु $\dots$ वर्ष हैं।