$2M $ व $M$ चुम्बकीय आघूर्णों वाले दो छड़ चुम्बकों को एक-दूसरे के लम्बवत् रखकर एक क्रॉस निकाय बनाया गया है, यह क्रॉस निकाय, दोनों चुम्बकों के केन्द्रों से होकर जाने वाले ऊध्र्वाधर अक्ष के परित: घूर्णन के लिये स्वतंत्र है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में यह क्रॉस निकाय इस प्रकार से समंजित होता है कि $2M$ चुम्बकीय आघूर्ण वाला चुम्बक, चुम्बकीय याम्योत्तर से $ \Theta $ कोण बनाता है। तब
$\theta = {\tan ^{ - 1}}\left( {\frac{1}{{\sqrt 3 }}} \right)$
$\theta = {\tan ^{ - 1}}\left( {\sqrt 3 } \right)$
$\theta = {\tan ^{ - 1}}\left( {\frac{1}{2}} \right)$
$\theta = {\tan ^{ - 1}}\left( {\frac{3}{4}} \right)$
यदि एक दण्ड चुम्बक के केन्द्र में एक छिद्र कर दिया जाये तो इसका चुम्बकीय आघूर्ण
एक लघु चुम्बक की अक्ष पर चुम्बक के केन्द्र से $x$ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $200$ गॉस है । उतनी दूरी पर निरक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता.....गॉस होगी
किसी चुम्बक के अक्षीय रेखा पर, उसके केन्द्र से दो बिन्दुओं की क्रमश: दूरी $10$ सेमी और $ 20$ सेमी है । इन बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का अनुपात $12.5 : 1$. हैै, तो चुम्बक की लम्बाई .....$cm$ है
अक्षीय बिन्दु पर एक लघु चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता होती है
दो चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण $M$ तथा $2 M$ है एक वाईब्रेशन मैग्नेटोमीटर में रखी है। यदि दोनों के सम ध्रुव साथ हो तो आवर्तकाल $T _{1}$ तथा विषम ध्रुव साथ हो तो आर्वत काल $T _{2}$ है। तो-