दो समान दण्ड चुम्बकों, जिसके केन्द्र $r $ मीटर दूरी पर हैं, के अक्ष एक ही रेखा पर हों, तब $4.8 \,N $ का बल लगता है। यदि इनके मध्य की दूरी $2r$  कर दी जाये, तो उनके बीच बल का मान .........$N$ कम हो जायेगा

  • [AIIMS 1995]
  • A

    $2.4$

  • B

    $1.2$

  • C

    $0.6$

  • D

    $0.3$

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एक दंड चुम्बक की लम्बाई  $ 10 $ सेमी तथा ध्रुव प्राबल्य $10^{-3}$ वेबर है। उसे एक चुम्बकीय क्षेत्र जिसका कि चुम्बकीय प्रेरण $(B) $  $4\pi  \times {10^{ - 3}}$ टेसला है की दिशा में $30°$  का कोण बनाते हुए रखा जाता है । चुम्बक पर लगने वाले बल आघूर्ण का मान होगा

एक लोहे की छड़ $(5\,cm \times 1\,cm \times 1\,cm)$ के प्रत्येक परमाणु का चुम्बकीय आघूर्ण $1.8 \times {10^{ - 23}}\,A{m^2}$ है। यदि लोहे का घनत्व $7.78 \times {10^3}\,k{g^{ - 3}}\,m$ एवं परमाणु भार $56$  है, एवं एवोगेड्रो संख्या $6.02 \times {10^{23}}$ है तब संतृप्त अवस्था में छड़ का चुम्बकीय आघूर्ण .....$A{m^2}$ होगा

एक छोटा चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण $ 6.75\, Am^2$  है। इसके अक्ष पर उदासीन बिन्दु प्राप्त होता है यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का क्षैतिज घटक $5 \times {10^{ - 5}}\,Wb/{m^2}$ है तो उदासीन बिन्दु की दूरी.....$cm$ होगी

दण्ड चुम्बक के लिए चुम्बकीय प्रेरण की बल रेखाएँ

यदि किसी धातु के टुकड़े को चुम्बक माना जाये तो सही कथन है