दो छोटे चुम्बक जिनके अक्ष क्षैतिज और चुम्बकीय याम्योत्तर के लम्बवत् हैं और उनके केन्द्र बिन्दु चुम्बकीय सुई के क्रमश: $40$ सेमी पूर्व तथा $50$ सेमी पश्चिम में हैं । यदि सुई में कोई विक्षेप नहीं है, तो उनके चुम्बकीय आघूर्णों का अनुपात ${M_1}:{M_2}$है
$4:5$
$16:25$
$64 : 125$
$2:\sqrt 5 $
$2$ सेमी लम्बी छड़ चुम्बक के अक्ष के लम्बवत्, विपरीत और उसके केन्द्र से $ x $ तथा $3x $ दूरियों पर दो बिन्दु $A$ व $B$ स्थित हैं $A$ व $B$ पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात होगा, लगभग
किसी चुम्बक को लौह-चूर्ण में रखकर उठाया जाता है तो अधिकतम चूर्ण रहता है
एक लघु चुम्बक की अक्ष पर चुम्बक के केन्द्र से $x$ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $200$ गॉस है । उतनी दूरी पर निरक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता.....गॉस होगी
एक चुम्बक का द्विध्रुव आघूर्ण $M$ तथा इसकी अक्ष पर चुम्बकीय विभव $V $ है। द्विध्रुव आघूर्ण $\frac{M}{4}$ वाली एक अन्य चुम्बक के कारण उसी बिन्दु पर चुम्बकीय विभव होगा
एक लघु छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को पृथ्वी के उत्तर की ओर रखने पर उदासीन बिन्दु क्षैतिज तल में किसी बिन्दु $P $ पर मिलता है। यदि चुम्बक को क्षैतिज तल में $90°$ से घुमा दिया जाये तो बिन्दु $P$ पर कुल चुम्बकीय प्रेरण होगा (पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक = ${B_H}$)