दिये गये एक क्षण, $t =0$ पर दो रेडियोधर्मी पदार्थों $A$ तथा $B$, की सक्रियता बराबर है। समय $t$ के पश्चत्, इनकी सक्रियता का अनुपात $\frac{ R _{ B }}{ R _{ A }}$ समय $t$ के साथ $e ^{-3 t }$ के अनुसार घटता है। यदि $A$ की अर्धआयु $\ln 2$ है, तो $B$ की अर्धआयु होगी।
$4\,ln2$
$\frac {ln2}{2}$
$\frac {ln2}{4}$
$2\,ln2$
एक पुरातत्ववेत्ता ने इतिहास पूर्व संरचना से लकड़ी का अध्ययन किया और पाया कि ${C^{14}}$ (अर्द्ध-आयु $= 5700$ वर्ष) से ${C^{12}}$ का अनुपात गढ़े हुये $(buried\, plants)$ पौधे की तुलना में एक चौथाई है। लकड़ी की आयु लगभग ...........वर्ष है
एक रेडियोसक्रिय नाभिक $A$, एक अन्य नाभिक $B$ में विघटित होता है जो एक और अन्य स्थित नाभिक $C$ में विघटित होता है। वह आरेख जो समय के साथ नाभिक $B$ के परमाणुओं की संख्या में समय के साथ परिवर्तन दर्शाता है।
(मान लीजिए कि $t =0$, पर सेंपल में कोई भी $B$ परमाणु नहीं है)
$30$ वर्षो में यदि किसी रेडियोसक्रिय पदार्थ को सक्रियता अपने प्रारम्भिक मान से $1 / 16^{\text {th }}$ कम हो जाए तो उसकी अर्द्धायु $.........$ वर्ष होगी।
एक रेडियोधर्मी नमूने में, एक परमाणु की इकाई समय में विघटन की प्रायिकता क्षय नियतांक ($\lambda $) कहलाती है तब
किसी रेडियोसक्रिय पदार्थ की अर्द्ध-आयु $(T)$ तथा क्षयांक $(\lambda )$ के बीच निम्न सम्बन्ध होता है