यदि रेखा $L _1$ अतिपरवलय $\frac{ x ^2}{16}-\frac{ y ^2}{4}=1$ की स्पर्श रेखा है तथा रेखा $L _2$ मूलबिंदु से गुजरती हो व रेखा $L _1$ के लम्बवत् हो । यदि रेखा $L _1$ तथा $L _2$ के प्रतिच्छेद बिंदु का बिंदुपथ $\left( x ^2+ y ^2\right)^2=\alpha x ^2+\beta y ^2$ हो, तो $\alpha+\beta$ का मान होगा -
$11$
$12$
$15$
$16$
समकोणिक अतिपरवलय की नियताओं के मध्य दूरी $10$ इकाई है, तब इसकी नाभियों के मध्य दूरी है
समकोणीय अतिपरवलय $xy = {c^2}$ की नाभियों के निर्देशांक हैं
यदि अतिपरवलय $16 x ^{2}-9 y ^{2}=144$ की नियता (directrix) $5 x+9=0$ है, तो इसका संगत नाभिकेन्द्र है
एक दीर्घवृत $E: \frac{x^2}{a^2}+\frac{y^2}{b^2}=1$ अतिपरवलय $H: \frac{x^2}{49}-\frac{y^2}{64}=-1$ के शीर्षो से होकर जाता है। माना दीर्घवृत $E$ के दीर्घ तथा लघु अक्ष क्रमशः अतिपरवलय $H$ के अनुप्रस्थ तथा संयुग्मी अक्ष के सम्पाती हैं। माना $E$ तथा $H$ की उत्केन्द्रताओं का गुणनफल $\frac{1}{2}$ है। यदि दीर्घवृत $E$ की नाभिलंब जीवा की लंबाई $l$ है, तो $113 l$ का मान है $...............$
यदि किसी अतिपरवलय की उत्केन्द्रता तथा इसकी संयुग्मी की उत्केन्द्रता क्रमश: $e$ तथा $e’$ हो, तो