उस बिन्दु $P(\alpha ,\,\beta )$ का बिन्दुपथ जो इस प्रकार गमन करता है कि रेखा $y = \alpha x + \beta $, अतिपरवलय $\frac{{{x^2}}}{{{a^2}}} - \frac{{{y^2}}}{{{b^2}}} = 1$ की स्पर्श रेखा है, है
परवलय
अतिपरवलय
दीर्घवृत्त
वृत्त
अतिपरवलय $9{x^2} - 16{y^2} - 18x - 32y - 151 = 0$ का नाभिलम्ब है
एक अतिपरवलय $H : x ^{2}-2 y ^{2}=4$ का विचार कीजिए। माना बिंदु $P (4, \sqrt{6})$ पर स्पर्श रेखा $x$-अक्ष को $Q$ पर मिलती है तथा नाभि जीवा को $R \left( x _{1}, y _{1}\right)$, $x _{1}>0$ पर मिलती है। यदि $H$ की नाभि $F$ बिंदु $P$ के निकट है, तो $\triangle QFR$ का क्षेत्रफल बराबर है
यदि अतिपरवलयों $\frac{{{x^2}}}{{{a^2}}} - \frac{{{y^2}}}{{{b^2}}} = 1$ तथा $\frac{{{y^2}}}{{{b^2}}} - \frac{{{x^2}}}{{{a^2}}} = 1$ की उत्केन्द्रतायें क्रमश: e तथा ${e_1}$ हों, तो $\frac{1}{{{e^2}}} + \frac{1}{{e_1^2}} = $
एक दीर्घवृत $E: \frac{x^2}{a^2}+\frac{y^2}{b^2}=1$ अतिपरवलय $H: \frac{x^2}{49}-\frac{y^2}{64}=-1$ के शीर्षो से होकर जाता है। माना दीर्घवृत $E$ के दीर्घ तथा लघु अक्ष क्रमशः अतिपरवलय $H$ के अनुप्रस्थ तथा संयुग्मी अक्ष के सम्पाती हैं। माना $E$ तथा $H$ की उत्केन्द्रताओं का गुणनफल $\frac{1}{2}$ है। यदि दीर्घवृत $E$ की नाभिलंब जीवा की लंबाई $l$ है, तो $113 l$ का मान है $...............$
अतिपरवलय का मानक समीकरण ($x$ - अक्ष के अनुदिश अनुप्रस्थ अक्ष) जिसकी नाभिलम्ब की लम्बाई $9$ इकाई व उत्केन्द्रता $\frac{5}{4}$ है, है