मात्रकों की किसी पद्धति में यदि बल $(F)$, त्वरण $(a)$ एवं समय $(T) $ को मूल मात्रक माना जाये तो ऊर्जा का विमीय-सूत्र होगा
यदि प्रकाश का वेग $(c)$, गुरुत्वीय त्वरण $(g)$ तथा दाब $(P)$ को मूल राशि माना जाए तो, गुरुत्वाकर्षण नियतांक की विमा होगी
यदि वेग $[ V ]$, समय $[ T ]$ तथा बल $[ F ]$ मूल राशियां मानी जाएं, तो द्रव्यमान की विमा होगी।
दो भौतिक राशियों $A$ तथा $\mathrm{B}$ की परिकल्पना कीजिये जो एक दूसरे से संबंध $E=\frac{B-x^2}{A t}$ के द्वारा संबंधित है जहाँ $\mathrm{E}, \mathrm{x}$ तथा $\mathrm{t}$ की विमाएँ क्रमशः ऊर्जा, लम्बाई तथा समय की विमाओं के समान है। $\mathrm{AB}$ की विमां है :
$\frac{ B ^{2}}{2 \mu_{0}}$, जहाँ $B$ चुम्बकीय क्षेत्र है और $\mu_{0}$ निर्वात की चुम्बकीय पागम्यता है, की विमायें हैं।